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2019 के बाद पहली बार कश्मीर में मोदी की रैली

चारु कार्तिकेय
७ मार्च २०२४

2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी पहली बार कश्मीर में एक रैली को संबोधित कर रहे हैं. विपक्ष का आरोप है कि सरकारी कर्मचारियों को जबरन रैली में ले जाया जा रहा है.

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कश्मीर
मोदी 2019 के बाद पहली बार कश्मीर गए हैंतस्वीर: Tauseef Mustafa/AFP

प्रधानमंत्री मोदी श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम "विकसित भारत विकसित जम्मू कश्मीर" में हिस्सा लेंगे. 2019 के बाद वो जम्मू तो दो बार जा चुके हैं लेकिन कश्मीर पहली बार जा रहे हैं.

कार्यक्रम के दौरान मोदी कई योजनाओं की घोषणा करेंगे और फिर एक रैली को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक मोदी "कृषि-अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए" 'समग्र कृषि विकास कार्यक्रम' का उदघाटन करेंगे. इस कार्यक्रम के लिए लगभग 5000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है.

कृषि, पर्यटन के लिए कार्यक्रम

इसके तहत एक 'दक्ष किसान' पोर्टल बनाया जाएगा जिसके जरिए किसानों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाएगा. सरकार को उम्मीद है कि इसके तहत लगभग 2.5 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके अलावा लगभग 2,000 "किसान खिदमत घर" भी स्थापित किए जाएंगे और 'मूल्य श्रृंखलाओं' की स्थापना की जाएगी.

कश्मीर
कश्मीर में राजनीतिक पार्टियां विधानसभा चुनाव कराए जाने की मांग कर रही हैंतस्वीर: Tauseef Mustafa/AFP

मोदी कृषि के अलावा पर्यटन क्षेत्र के कार्यक्रमों की भी घोषणा करेंगे. 1,400 करोड़ रुपये की "स्वदेश दर्शन और प्रसाद (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन ड्राइव) योजना" पूरे देश के लिए है.

कश्मीर में इसके तहत 'हजरतबल तीर्थ का एकीकृत विकास' परियोजना शुरू की जाएगी. इसके अलावा, मोदी जम्मू-कश्मीर के लगभग 1,000 नए सरकारी कर्मचारियों को नियुक्ति आदेश भी सौंपेंगे.

सरकार और बीजेपी इस कार्यक्रम को सफल बनाने की कई कोशिशें कर रही हैं. बीजेपी को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री को सुनने भारी संख्या में लोग आएंगे, लेकिन विपक्ष के नेताओं ने आरोप लगाया है कि प्रदेश प्रशाशन जबरन सरकारी अधिकारियों को भेज कर कार्यक्रम को कृत्रिम रूप से सफल बनाने की कोशिश कर रहा है.

जबरन भीड़ जुटाने के आरोप

एनसी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक्स पर लिखा कि जो भी लोग प्रधानमंत्री की रैली में जा रहे हैं उनमें से कोई भी अपनी मर्जी से नहीं जा रहा है, बल्कि सरकारी कर्मचारियों को "हजारों की संख्या में जमा देने वाले तापमान में" सुबह 4.30 से 5.30 के बीच इकट्ठा होने के लिए कहा गया है, जहां से उन्हें बसों में स्टेडियम ले जाया जाएगा.

उमर ने यह भी दावा किया कि ऐसा करना कर्मचारियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है और उन्हें धमकी दी गई है कि अगर वो नहीं आए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

पीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने तो एक्स पर एक वीडियो डाला जिसमें अंधेरे में एक स्थान पर कई बसें और लोग नजर आ रहे हैं. मुफ्ती का दावा है कि ये सरकारी कर्मचारी हैं जिन्हें बडगाम बस स्टैंड पर "शून्य से नीचे तापमान में सुबह पांच बजे" गाड़ियों में बिठाया जा रहा है, जहां से उन्हें प्रधानमंत्री की रैली में ले जाया जाएगा.

उन्होंने यह भी लिखा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि "एक खूबसूरत तस्वीर दिखाई जा सके कि 2019 के बाद सब ठीक है और यहां लोग खुद अपनी सामूहिक अपमान और शक्तियों के छीन लिए जाने का जश्न मना रहे हैं."

हालांकि बीजेपी ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि "कश्मीर परिवार अपने प्रधानसेवक से मिलने के लिए इकट्ठा हुआ है."

कश्मीर में लगभग सभी पार्टियां विधानसभा चुनावों के कराए जाने का इंतजार कर रही हैं. प्रदेश में 2018 के बाद से चुनी हुई सरकार नहीं है और अब जब लोकसभा चुनाव सिर पर हैं तब पार्टियों की मांग है कि विधानसभा चुनाव भी जल्द ही आयोजित कराए जाएं.