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कश्मीर: सेना की हिरासत में मौत के बाद गुस्सा

आमिर अंसारी
२५ दिसम्बर २०२३

जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में सेना की हिरासत में तीन नागरिकों की मौत के मामले में पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है.

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भारतीय सेना
भारतीय सेनातस्वीर: Imago/Zuma Press

21 दिसंबर को पुंछ में अज्ञात आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में सेना के चार जवानों की मौत हुई थी, इसके एक दिन बाद सेना ने कथित तौर पर कम से कम आठ नागरिकों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था. इनमें से तीन लोगों के शव शनिवार को मिले थे. जिसके बाद अब इलाके में गम और गुस्से का माहौल है.

अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया पर 29 सेकंड का वीडिया वायरल होने के बाद मामला गरम हो गया और दिल्ली से उच्च स्तरीय हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया है. इस वीडियो में कथित तौर पर सेना के जवानों को तीन लोगों को प्रताड़ित करते हुए दिखाया गया है.

21 दिसंबर को पुंछ-राजौरी इलाके में सेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद आठ लोगों को हिरासत में लिया गया था. इस हमले में चार सैनिक मारे गए थे और तीन अन्य घायल हो गए थे. घात लगाकर किए गए हमले में शामिल आतंकवादियों की अभी तक पहचान या गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. सेना इन आतंकवादियों को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन चला रही है.

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परिवारों में गम और गुस्सा

स्थानीय लोगों ने सेना के जवानों पर उन तीनों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. उनका दावा है कि पास के ही एक सेना के कैंप में उन्हें हिरासत में रखा गया था. बाद में शवों को स्थानीय पुलिस को सौंप दिया गया. पुलिस ने परिवारों से संपर्क किया और शवों को उन्हें सौंप दिया. स्थानीय लोगों का आरोप है कि शवों पर गंभीर यातना के निशान हैं.

टोपा पीर गांव के रहने वाले मोहम्मद यूनुस ने समाचार एजेंसी एपी से कहा कि शुक्रवार सुबह सेना के जवान उनके गांव में आए और नौ लोगों को हिरासत में लिया जिनमें उनके दो सगे और एक चचेरा भाई भी शामिल था. हालांकि, एक बुजुर्ग को जाने दिया गया. उनका दावा है कि हिरासत में लिए गए लोगों को बेरहमी से पीटा गया और बिजली के झटके दिए गए.

यूनुस ने समाचार एजेंसी एपी से कहा, "मेरे दो भाई और एक चचेरा भाई प्रताड़ना के कारण बुरी तरह जख्मी हैं. उनका सेना के अस्पताल में इलाज चल रहा है."

सेना ने दिए जांच के आदेश

मृत पाए गए तीन लोगों की पहचान 43 साल के सफीर हुसैन, 27 साल के मोहम्मद शौकत और 32 वर्षीय शब्बीर अहमद के तौर पर हुई है. ये सभी बफलियाज क्षेत्र के टोपा पीर गांव के रहने वाले थे. आरोप है कि सेना द्वारा इन्हें कथित तौर पर उठाया गया था और ये सभी उसी जगह मृत पाए गए जहां सेना की आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ हुई थी. जबकि गंभीर रूप से घायल पांच स्थानीय लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. ये सभी गुज्जर बकरवाल समुदाय से हैं.

अब मामले की गंभीरता को देखते हुए सेना ने गहन आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं. मीडिया में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि मानक संचालन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में नागरिकों की मौत की गहन जांच का आदेश दिया गया है. सेना ने कहा है कि वह जांच के संचालन में "पूर्ण समर्थन और सहयोग" देने के लिए प्रतिबद्ध है.

जम्मू-कश्मीर सरकार के मुताबिक सरकार ने प्रत्येक मृतक के लिए मुआवजे की घोषणा की है. इसके अलावा सरकार ने प्रत्येक मृतक के करीबी परिजन के लिए अनुकंपा नियुक्ति की भी घोषणा की है.

भारतीय सेना के अतिरिक्त जन सूचना महानिदेशालय (एडीजीपीआई) ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "21 दिसंबर की घटना के बाद सुरक्षा बलों द्वारा क्षेत्र में तलाशी अभियान जारी है. क्षेत्र में तीन नागरिकों की मौत के संबंध में रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं. मामले की जांच जारी है. भारतीय सेना जांच में पूरा सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है."

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने आम नागरिकों की मौत के मामले पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने निष्पक्ष जांच की मांग की. उन्होंने सरकार से पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की अपील की.

नागरिकों की मौत के मामले को लेकर पुंछ के सुरनकोट पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.