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फिर भड़का असम और मिजोरम में सीमा विवाद

प्रभाकर मणि तिवारी
११ फ़रवरी २०२१

असम-मिजोरम सीमा पर विवादित क्षेत्र में दोनों राज्यों के लोगों के बीच हुई झड़पों में कई लोग घायल हो गए हैं. इलाके में बड़े पैमाने पर आगजनी की भी खबरें आ रही हैं.

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पूर्वोत्तर भारत
कई पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाओं को लेकर विवाद है (फाइल फोटो)तस्वीर: T. Debbarma

मिजोरम के कोलासिब जिले से सटे असम के हैलाकांडी जिले में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी है. कोलासिब के जिला उपायुक्त एच. लालथंगलियाना के मुताबिक यह संघर्ष उस समय शुरू हुआ जब बिजली लाइन का निरीक्षण करने गए मिजोरम के बिजली विभाग के दो कर्मचारियों और बैराबी ग्राम परिषद के एक सदस्य की असम के लोगों ने पिटाई कर दी.

कुछ महीने पहले भी दोनों राज्यों में सीमा विवाद भड़का था. उसकी वजह से कई दिनों तक इन दोनों के बीच आपसी संपर्क कटा रहा था. मिजोरम और असम के बीच 164.6 किलोमीटर लंबी सीमा है. सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 1995 से कई दौर की बातचीत हो चुकी है. लेकिन उसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है. यही वजह है कि सीमा विवाद अक्सर भड़क उठता है.

ताजा मामला

मिजोरम-असम सीमा पर कोलासिब जिले के जोफेई इलाके में दोनों राज्यों के लोगों के बीच हुई हिंसक झड़प में कई लोग घायल हो गए. इसके अलावा कई दुकानों में भी आग लगा दी गई. मिजोरम में सत्तारुढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) विधायक दल ने राज्य के लोगों पर हुए हमले की कड़ी निंदा की है. मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा बताते हैं, "विधायक दल की बैठक में उपद्रवी तत्वों की ओर से बिना किसी उकसावे के मिजोरम के बेकसूर लोगों पर किए गए हमले की निंदा करते हुए इसे एक कायरतापूर्ण कार्रवाई करार दिया गया.”

कोलासिब के एक अधिकारी ने बताया कि हिंसा और आगजनी की घटना मंगलवार रात रामनाथपुर थानांतर्गत कचूरथोल में हुई. हैलाकांडी और कोलासिब दोनों जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा है कि इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और स्थिति अब नियंत्रण में है. प्रशासन व पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी प्रभावित इलाके में तैनात हैं. स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए सीमावर्ती इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है.

असम में सीमावर्ती हैलाकांडी जिले के कातलीचेरा से विधायक शुजामुद्दीन लश्कर दावा करते हैं, "मंगलवार की रात पड़ोसी राज्य के उपद्रवी तत्वों के हमले में लगभग 30 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और 50 से ज्यादा मकान आगजनी में नष्ट हो गए हैं.” उन्होंने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत को पत्र लिखकर पड़ोसी राज्य से सशस्त्र हमले की वजह से सीमावर्ती इलाकों में रहने वालों के मन में उपजी असुरक्षा की भावना दूर करने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने का अनुरोध किया है.

इससे पहले बीते साल अक्टूबर-नवंबर में भी असम-मिजोरम सीमा पर हिंसक संघर्ष के बाद कई दिन तक तनाव रहा था. उस समय असम के कछार जिले और मिजोरम के कोलासिब जिले के लोगों के बीच संघर्ष में एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए थे और कई कच्चे मकान और दुकानें जला दी गई थीं.

पुराना है विवाद

दरअसल, वर्ष 1962 में असम से अलग होकर नए राज्यों के गठन के समय से ही सीमाओं का निर्धारण सही तरीके से नहीं होने की वजह से असम व ज्यादातर राज्यों के बीच सीमा को लेकर विवाद होता रहा है. पहले जिस इलाके को असम के लुसाई जिले के नाम से जाना जाता था उसे ही वर्ष 1972 में पहले केंद्रशासित प्रदेश और फिर वर्ष 1987 में पूर्ण राज्य मिजोरम का दर्जा दिया गया था. दक्षिण असम के साथ मिजोरम की करीब 123 किमी लंबी सीमा सटी है. मिजोरम का दावा है कि उसके लगभग 509 वर्गमील इलाके पर असम का कब्जा है.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक इनर लाइन परमिट (आईएलपी) प्रणाली भी असम के साथ कम से कम चार राज्यों के सीमा विवाद की प्रमुख वजह है. इलाके के चार राज्यों--अरुणाचल, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर में इनर लाइन परमिट प्रणाली लागू है. इसके बिना बाहर का कोई व्यक्ति इन राज्यों में नहीं पहुंच सकता. इसके अलावा वह परमिट में लिखी अवधि तक ही वहां रुक सकता है. लेकिन उन राज्यों के लोग बिना किसी रोक के असम में आवाजाही कर सकते हैं.

वर्ष 1993 में असम और मणिपुर सरकार ने लुसाई हिल्स और मणिपुर राज्य के बीच के इलाकों की सीमा का निर्धारण कर दिया था. लेकिन मिजोरम सरकार का कहना है कि इसके लिए उसकी राय नहीं ली गई थी. इसलिए यह सीमा निर्धारण वैध नहीं है.

मिजोरम के राजनीतिक पर्यवेक्षक एन. लालमुनियाना कहते हैं, "यह विवाद दोनों राज्यों के हित में नहीं हैं. सीमावर्ती इलाके में अक्सर होने वाली हिंसा की वजह से विकास योजनाओं के साथ आम लोगों के जीवन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. केंद्र सरकार को दोनों राज्यों के साथ मिल कर इस समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में शीघ्र ठोस पहल करनी चाहिए.”

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