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इस तरह जलवायु लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाएगा जर्मनीः अदालत

१७ मई २०२४

जर्मन सरकार को जलवायु संरक्षण कार्यक्रम में तेजी लानी होगी नहीं तो देश जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में चूक जाएगा. जर्मनी की एक अदालत ने सरकार को इस बारे में सख्त निर्देश दिए हैं.

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जलवायु संरक्षण के लिए प्रदर्शन करते डॉयचे उमवेल्टहिल्फे के कार्यकर्ता
पर्यावरण संगठन डॉयचे उमवेल्टहिल्फे की याचिका पर अदालत ने सरकार को निर्देश दिए तस्वीर: Paul Zinken/dpa/picture alliance

बर्लिन-ब्रांडेनबुर्ग की उच्च प्रशासनिक अदालत ने एक पर्यावरण संगठन की तरफ से दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद यह निर्देश जारी किए हैं. अदालत का कहना है कि सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वे पर्यावरण के लिहाज से कानूनी जरूरतों को पूरा नहीं करते. जर्मनी की सरकार इस फैसले के खिलाफ संघीय अदालत में अपील कर सकती है. इस स्थिति में जब तक वहां सुनवाई नहीं होती इस फैसले पर अमल लंबित रहेगा.

पर्यावरण संगठन की याचिका

एनवायरनमेंट एक्शन जर्मन या डॉयचे उमवेल्टहिल्फे नाम के संगठन ने अदालत में याचिका दायर की थी. यह संगठन पहले भी जर्मन सरकार की जलवायु नीतियों के लिए उसे अदालत में घसीट चुका है. बीते साल नवंबर में भी उसे इस मामले में कामयाबी मिली थी. तब बर्लिन-ब्रांडेनबुर्ग की ही उच्च अदालत ने फैसला सुनाया कि सरकार ट्रांसपोर्ट और निर्माण के क्षेत्रों में आपातकालीन जलवायु कार्यक्रम शुरू करे. इस फैसले के खिलाफ सरकार ने संघीय प्रशासनिक अदालत में अपील की और उस पर सुनवाई हो रही है.

एलएनजी टर्मिनल का विरोध करते पर्यावरण कार्यकर्ता
पर्यावरण कार्यकर्ता जर्मन सरकार के उठाए कदमों से संतुष्ट नहीं हैंतस्वीर: Monika Skolimowska/dpa

जर्मन पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि वह अदालत के फैसले की समीक्षा करेगी और साथ ही इस पर संघीय अदालत में अपील करने पर भी विचार करेगी. पर्यावरण संरक्षण मंत्रालय की एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी. सरकार के पास फैसले की कॉपी हासिल करने के बाद अपील दायर करने के लिए एक महीने का वक्त होगा. प्रवक्ता ने बताया कि सरकार 2030 तक उत्सर्जन को प्रमुखता से घटाने के लिए प्रयास कर रही है. मंत्रालय का कहना है कि संघीय सरकार ने अक्टूबर 2023 में एक विस्तृत जलवायु कार्यक्रम पेश किया था. इसके तहत जलवायु लक्ष्यों में मौजूद कमी को 80 फीसदी तक दूर किया जा सकता है.

क्लाइमेट प्रोटेक्शन एक्ट

पर्यावरण के लिए काम करने वाले संगठन अपनी याचिका जर्मनी के क्लाइमेट प्रोटेक्शन एक्ट की जरूरतों के आधार पर दायर करती है. इस एक्ट में 2024 से 2030 के बीच ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को घटाने की बात की गई है. इसके साथ ही कानून ने 2030 तक सभी तरह के उत्सर्जन को 1990 की तुलना में 65 फीसदी तक नीचे ले जाने का लक्ष्य तय किया है. पिछले साल करीब 46 फीसदी की कमी लाने में सफलता मिली थी.

क्लाइमेट प्रोटेक्शन प्रोग्राम के तहत संघीय सरकार ने कई कार्यक्रमों और सेक्टरों को मिला कर उत्सर्जन को घटाने के लक्ष्य तय किए हैं. इसके तहत परिवहन, ऊर्जा, इमारतें, उद्योग और कृषि क्षेत्र को शामिल किया गया है. सरकार पर पर्याप्त कदम नहीं उठाने के आरोप लगाता रहते हैं. हाल ही में जारी एक रिपोर्ट से पता चला कि जर्मनी ने पृथ्वी पर मौजूद संसाधनों का जिस तरह इस्तेमाल किया है, उसके हिसाब से उसे तीन पृथ्वी की जरूरत होगी. 

 बर्लिन में प्रदर्श करते डॉयचे उमवेल्टहिल्फे के कार्यकर्ता
उत्सर्जन घटाने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं करने के लिए जर्मन सरकार की आलोचना हो रही हैतस्वीर: Paul Zinken/dpa/picture alliance

सरकार के रुख की आलोचना

अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान जज आरियाने होले ने उठाए कदमों को अपर्याप्त बताते हुए सरकार की आलोचना की. जज का कहना था कि जो उपाय जर्मन सरकार ने किए हैं, उसके बावजूद 2030 तक उत्सर्जन घटाने के लक्ष्यों में 20 करोड़ टन कार्बन डाइ ऑक्साइड के बराबर कमी होगी. जर्मनी अगर अपने लक्ष्यों को हासिल करना चाहता है तो उसे इतनी मात्रा के बराबर उत्सर्जन को और घटाने के उपाय करने होंगे.

फैसले में कहा गया है कि जर्मन सरकार इसे कैसे हासिल करेगी इसके लिए पर्याप्त रूप से ठोस और वास्तविक योजना नहीं पेश की है. पर्यावरण संरक्षण मंत्रालय की प्रवक्ता ने इस बारे में पूछने पर कहा, "हमने हमेशा से साफ तौर पर कहा है कि जलवायु संरक्षण कार्यक्रम में केवल उपायों का पैकेज ही पर्याप्त नहीं होगा."

अदालत के फैसले से इस बात की पुष्टि हो गई है कि बदलावों की जरूरत होगी. प्रवक्ता ने यह भी कहा कि लक्ष्य और वास्तविकता के बीच की खाई को खत्म करना संभव है. ऐसा करने के लिए संघीय सरकार को इस रास्ते पर बने रहना होगा और दृढ़ता के साथ कार्यक्रमों को लागू करना होगा.

एनआर/आरपी (डीपीए)