1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दुनिया का रक्षा खर्च पहली बार 20 खरब डॉलर को पार

२५ अप्रैल २०२२

पहली बार दुनिया में रक्षा पर होने वाला खर्च बीस खरब डॉलर यानी 1,620 खरब रुपये से भी ज्यादा को पार कर गया है. 2021 में दुनिया ने हथियारों व अन्य सुरक्षा उपकरणों आदि पर इतना धन खर्चा, जितना पहले कभी नहीं हुआ था.

https://p.dw.com/p/4ANCe
भारत हथियारों पर खर्च करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है
भारत हथियारों पर खर्च करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश हैतस्वीर: Manish Swarup/AP/picture alliance

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) के मुताबिक 2021 में रक्षा खर्च के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं. मुद्रास्फीति के आधार पर बदलाव के बाद सामने आए आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल दुनिया में रक्षा पर खर्च में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 21.13 खरब डॉलर पर पहुंच गया. इसका अर्थ यह भी है कि महामारी के दोनों सालों, 2020 और 2021 में रक्षा खर्च में बढ़ोतरी हुई.

हालांकि, विभिन्न देशों के कुल खर्च के अनुपात में रक्षा खर्च बढ़ने के बजाय थोड़ा सा (0.1) प्रतिशत घटा है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पश्चिमी देशों ने अपने यहां महामारी के दौरान विकास मद में राहत के नाम पर ज्यादा खर्च किया. इसलिए अनुपातिक रूप से रक्षा पर खर्च कम हो गया. इस कारण 2021 में रक्षा मद में वैश्विक अर्थव्यवस्था का 2.2 फीसदी खर्च हुआ है.

सिप्री के मिलिट्री एक्सपेंडिचर एंड आर्म्स प्रॉडक्शन प्रोग्राम (MEAPP) के वरिष्ठ शोधकर्ता डिएगो लोपेज डा सिल्वा कहते हैं, "कोविड-19 के दौरान भी, जबकि अर्थव्यवस्था गिर रही थी, दुनिया का सैन्य खर्च रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. मुद्रास्फीति के कारण असल में वृद्धि में उतनी ज्यादा नहीं हुई लेकिन सैन्य खर्च 6.1 फीसदी बढ़ा है.”

भारत टॉप 5 में

जिन पांच देशों ने सैन्य मद में सबसे ज्यादा खर्च किया, वे हैं अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन और रूस. सिप्री का कहना है कि अमेरिका का रक्षा खर्च पहले की तुलना में गिरा है. अमेरिका ने 801 अरब डॉलर खर्च किए जो उसके कुल जीडीपी का 3.6 फीसदी है. यह पहले (3.7 प्रतिशत) की तुलना में कम है. कमी शोध और विकास पर होने वाले खर्च में भी हुई है लेकिन सिप्री का अनुमान है कि अमेरिका अब भी ‘अगली पीढ़ी की तकनीकों' का विकास कर रहा है.

उधर रूस ने अपना सैन्य खर्च 2.9 फीसदी बढ़ा दिया है. उसने 65.9 अरब डॉलर खर्च किए जो लगातार तीसरे साल हुई वृद्धि थी. अब वह अपने जीडीपी का 4.1 प्रतिशत रक्षा पर खर्च कर रहा है. सिप्री के मुताबिक खर्च में इस वृद्धि को रूसी तेल की कीमतें बढ़ने से भी मदद मिली और यह तब हुआ जबकि उसने यूक्रेन पर हमला किया.

यूरोप बन गया है हथियार आयात का गढ़ः सिप्री

रूस के उलट यूक्रेन के रक्षा बजट में 2021 में कमी देखी गई. उसने अपने जीडीपी का 3.2 प्रतिशत यानी करीब 5.9 अरब डॉलर खर्च किए. हालांकि 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया को अलग कर दिए जाने के बाद से यूक्रेन के रक्षा बजट में 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

एशिया में होड़ तेज

भारत का रक्षा बजट दुनिया में तीसरे नंबर पर है. वह 76.6 अरब डॉलर यानी 58 खरब रुपये से ज्यादा खर्च कर रहा है जो 2020 के मुकाबले 0.9 प्रतिशत ज्यादा है. 2012 से अब तक भारत का रक्षा बजट 33 प्रतिशत बढ़ चुका है. भारत में घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने पर खासा जोर दिया जा रहा है. कुल बजट का 64 प्रतिशत घरेलू उद्योगों द्वारा बनाए गए हथियार खरीदने पर खर्चे गए.

एशिया में चीन का रक्षा बजट 4.7 प्रतिशत पर बढ़कर 293 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो कि 27वीं लगातार सालाना वृद्धि है. चीन के मुकाबिल देश भी अब अपना रक्षा बजट लगातार बढ़ा रहे हैं. जापान का रक्षा बजट 7.3 फीसदी बढ़कर 54.1 अरब डॉलर हो गया जो कि 1972 के बाद से सबसे बड़ी बढ़त है. ऑस्ट्रेलिया का रक्षा बजट भी 4 प्रतिशत बढ़कर 31.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया है.अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचे अमेरिका के परमाणु हथियार

ईरान के बजट में चार साल में पहली बार बढ़त देखी गई. अब वह 24.6 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च कर रहा है. नाइजीरिया के रक्षा बजट में 56 फीसदी की वृद्धि देखी गई और उसका बजट 4.5 अरब डॉलर हो गया.

रिपोर्टः वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)