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दुनिया के संकट सुलझाने के लिए बढ़ानी होगी औरतों की भागीदारी

३० जून २०२३

मंगोलिया के उलानबटोर में महिला विदेश मंत्रियों के पहले सम्मेलन में नीतियां बनाने में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया है. यूक्रेन युद्ध और खाद्य संकट पर गहरी चिंता जताई गई है.

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उलानबाटोर में महिला विदेश मंत्रियों की बैठक में नीतियां बनाने में औरतों की हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया
उलानबाटोर में महिला विदेश मंत्रियों की बैठक में नीतियां बनाने में औरतों की हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दिया गयातस्वीर: Thomas Trutschel/photothek/IMAGO

यूरोप, एशिया, और अफ्रीका के महिला विदेश मंत्रियों की एक खास बैठक मंगोलिया में हुई है. फ्रांस, जर्मनी. इंडोनेशिया, लिस्टेश्टाइन, मंगोलिया और दक्षिण अफ्रीका की विदेश मंत्रियों ने इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के लिए प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए महिला अधिकारों को लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं कायम रखने के लिए बुनियादी जरूरत बताया.

उलानबटोर डिक्लेरेशन के नाम से जारी संयुक्त बयान में महिला विदेश मंत्रियों ने कहा कि नीतियां बनाने में औरतों की हिस्सेदारी ना सिर्फ लैंगिक समानता का लक्ष्य पूरा करने में भूमिका निभाती है बल्कि एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण करती है जिसमें सभी के जीवन को बेहतर बनाने का मौका हो. औरतों का हक सुनिश्चित करने वाले न्याय पर आधारित समाज में ही शांति और कायम रखने की उम्मीद की जा सकती है.

शांति, सुरक्षा और महिलाओं की भूमिका

महिला विदेश मंत्रियों ने अपनी चर्चा के बाद इस बात पर जोर दिया कि दुनिया में शांति कायम करने की कोशिशों और विवादों के हल महिलाओं की भागीदारी के बिना नहीं निकाले जा सकते. इसका सीधा मतलब ये है कि दुनिया भर में देशों को ये सुनिश्चित करना होगा कि औरतों को शांति और सुरक्षा से जुड़े मामलों में अर्थपूर्ण भूमिका निभाने के मौके मिलें.

मंत्रियों ने कहा कि हिंसाग्रस्त इलाकों में औरतों और बच्चों को सुरक्षा देना राज्य की जिम्मेदारी है
मंत्रियों ने कहा कि हिंसाग्रस्त इलाकों में औरतों और बच्चों को सुरक्षा देना राज्य की जिम्मेदारी हैतस्वीर: Bernd von Jutrczenka/dpa/picture alliance

मंत्रियों ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया है कि हिंसाग्रस्त इलाकों में जहां महिलाएं और बच्चे खासतौर पर प्रभावित हैं, ये राज्य की जिम्मेदारी है कि वो उन्हें तुरंत न्याय मुहैया कराए, यौन-हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो और जवाबदेही तय की जाए. इसके लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में, 31 अक्तूबर 2000 को महिला, शांति और सुरक्षा पर पारित रिजॉल्यूशन को लागू करने की जरूरत पर बल दिया. इसके अलावा जहां जरूरत हो वहां यूएन की शांति सेनाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को भी एक जरूरी कदम कहा गया.

जेंडर समानता में जर्मनी दुनिया में छठे नंबर पर

बैठक में हिस्सा लेने पहुंची जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने गुरुवार को कहा कि "अपनी आधी आबादी को नजरअंदाज करके कोई समाज सफलता हासिल नहीं कर सकता". वहीं दक्षिण अफ्रीका की विदेश मंत्री नालेदी पैंडोर का कहना था कि "जब महिलाओं की हिस्सेदारी ना हो तो पूरा ध्यान सत्ता और ढांचे पर होता लेकिन जब औरतें मौजूद हों तो फिर चर्चा होती है समानता पर ".

खाद्य सुरक्षा के सवाल

संयुक्त बयान में इस बात पर चिंता जाहिर की गई है कि दुनिया में हर तीन में से एक व्यक्ति के पास खाना नहीं है. मंत्रियों ने माना कि भोजन संकट की जड़ में युद्ध, संगठित अपराध, जलवायु परिवर्तन,आर्थिक अस्थिरता के अलावा प्रदूषण और जैव-विविधता को पहुंचा नुकसान भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं और इन सबसे निपटने में पूरी दुनिया को एक साथ आना ही होगा. साथ ही इस बात को उकेरा गया है कि देशों को खेती के वैकल्पिक तरीके अपना कर पर्यावरण के हक में काम करना ही होगा और नीतिगत निर्णयों में महिलाओं की भूमिका सुनिश्चित करनी होगी.

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उलानबाटोर डिक्लेरेशन में यूक्रेन युद्ध के गहरे मानवीय प्रभावों का जिक्र करते हुए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से अपील की गई है कि वे बेघर हुए लोगों की जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने के लिए एकजुट होकर मानवीय सहायता दें.

रिपोर्टः स्वाति बख्शी (डीपीए)

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