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पाकिस्तान: शरीफ होंगे प्रधानमंत्री, पीपीपी को मनाने की कोशिश

१४ फ़रवरी २०२४

पाकिस्तान में गतिरोध का अंत करने के लिए शाहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा कर दी गई है. साथ ही भावी सरकार की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए पीपीपी को भी सरकार में शामिल करने की कोशिश की जा रही है.

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शाहबाज शरीफ
शाहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा कर दी गई हैतस्वीर: K.M. Chaudary/AP/picture alliance

72 साल के शरीफ के नाम की मंगलवार को प्रधानमंत्री पद के लिए गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में घोषणा कर दी गई. घोषणा उनके बड़े भाई और पीएमएलएन पार्टी के सुप्रीमो नवाज शरीफ ने की. पीएमएलएन को इस समय संसद में सबसे बड़ी पार्टी माना जा रहा है.

पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की पीपीपी को दूसरी सबसे बड़ी पार्टी माना जा रहा है. पीपीपी ने भी शाहबाज शरीफ के नाम का समर्थन किया लेकिन सरकार में शामिल होने का वादा नहीं किया. इसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि पीपीपी अल्पमत सरकार को बाहर से समर्थन देगी.

"बाहर से मैच देखना"

दोनों पार्टियों के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने सरकार बनाने की बारीकियों और सरकार का एजेंडा तय करने के लिए आंतरिक समितियां बनाई हैं. इनमें पीपीपी को सरकार में शामिल करने और मंत्रिमंडल में स्थान लेने की कोशिशों पर चर्चा भी शामिल है.

बिलावल भुट्टो
बिलावल भुट्टो के नेतृत्व में पीपीपी शरीफ की सरकार में शामिल होने से झिझक रही हैतस्वीर: Aamir Qureshi/AFP/Getty Images

पीपीपी नेता फैसल करीम कुंदी ने कहा, "वो अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन हम अभी तक मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुए हैं." जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान को एक ऐसी स्थिर सरकार की जरूरत है जिसके पास राजनीतिक शक्ति हो ताकि देश को उसके आर्थिक संकट से निकालने के लिए कड़े फैसले लिए जा सकें.

पीएमएलएन के महासचिव अहसान इकबाल ने मंगलवार देर शाम जियो टीवी को बताया, "गठबंधन सरकारें इस सिद्धांत पर काम नहीं कर सकती हैं कि एक पार्टनर सारा बोझ उठाए और दूसरा बाहर से मैच देखे. सबको मिल कर मैच खेलना है. इसलिए मुझे उम्मीद है कि यह एक परिपक्व नेतृत्व है जो उन समस्याओं को जानता है जिनका देश सामना कर रहा है."

स्थिरता के सवाल

पाकिस्तान इस समय आर्थिक संकट, धीमी विकास दर और रिकॉर्ड महंगाई के साथ साथ बढ़ती आतंकी हिंसा का सामना कर रहा है. पिछले साल उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से तीन अरब डॉलर की मदद मिली जिसे वो सॉवरेन डिफ़ॉल्ट से बाल बाल बचा. लेकिन इस मदद का मार्च में अंत हो जाएगा जिसके बाद एक नए पैकेज की जरूरत होगी.

इस नए पैकेज की शर्तों पर तेजी से बात करना नई सरकार के लिए बेहद जरूरी होगा. इसके अलावा सरकार को नई राजनीतिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है. जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थन से जीते निर्दलीय सांसद संसद में सबसे बड़ा समूह हैं.

यह समूह पाकिस्तानी सेना से से भिड़ा हुआ है और आरोप लगा रहा है कि चुनावों में धांधली हुई थी. केयरटेकर सरकार और चुनाव आयोग दोनों ने इन आरोपों को ठुकरा दिया है. राजनीतिक विश्लेषक जाहिद हुसैन ने बुधवार को डॉन अखबार में लिखा, "पीएमएलएन और पीपीपी के बीच बातचीत शुरू हो गई है लेकिन एक स्थिर गठबंधन सरकार बनाना आसान नहीं होगा."

उन्होंने लिखा, "ऐसा लगता है कि पीपीपी के नेतृत्व को अहसास हो चुका है कि एक कमजोर गठबंधन जिसकी वैधता पर सवाल हों वो टिक नहीं पाएगा." पाकिस्तान के शेयर बाजार ने घोषणा का स्वागत किया. मुख्य सूचकांक बुधवार को दो प्रतिशत ऊपर गया जो चुनाव नतीजों के आने के बाद सबसे बड़ी उछाल है.

सीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)