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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रतापाकिस्तान

पाकिस्तान: सोशल मीडिया पर सेना की आलोचना पर कड़ी सजा

२१ फ़रवरी २०२२

पाकिस्तान सरकार एक नया कानून ले कर आई है जिसके तहत सोशल मीडिया पर सेना के खिलाफ 'झूठी खबरें' फैलाने पर पांच साल तक की जेल हो सकती है. आलोचकों का कहना है कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध बढ़ते जा रहे हैं.

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Pakistan Islamabad | Imran Khan, Premierminister
तस्वीर: Saiyna Bashir/REUTERS

इस नए साइबर-अपराध कानून के तहत न सिर्फ सेना, बल्कि न्यायपालिका और सरकारी अधिकारियों को भी सोशल मीडिया पर टिप्पणियों से राहत मिलेगी. वीकेंड पर ही इस नए कानून को प्रधानमंत्री इमरान खान की कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इस पर हस्ताक्षर भी कर दिए.

इस तरह कानून तुरंत लागू भी हो गया. बस इसे 90 दिनों के अंदर संसद की मंजूरी भी मिलनी आवश्यक है, लेकिन संभावना यही है कि खान की गठबंधन सरकार इसे आसानी से पास करा लेगी.

"अलोकतांत्रिक" कानून

हाल के सालों में पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता घटती ही गई है. सरकार ने पारंपरिक मीडिया संस्थान और सोशल मीडिया दोनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. सेना और उससे जुड़ी एजेंसियों की आलोचना तो शुरू से बेहद जोखिम भरी रही है. अधिकार समूहों का कहना है कि नए कानून से यह और मुश्किल हो जाएगा.

पेशावर,पाकिस्तान
पाकिस्तान में सेना की आलोचना करना हमेशा से जोखिम भरा रहा हैतस्वीर: Hussain AliPacific Press Agency/imago images

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने नए कानून को "अलोकतांत्रिक" बताया और कहा कि आगे जा कर इसका इस्तेमाल "विरोध की आवाजों और सरकार के आलोचकों" के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए किया जाएगा.

नए कानून के तहत मानहानि के मौजूदा कानून को भी बदल दिया गया है. पहले इस कानून के तहत किसी व्यक्ति की "निजता या साख को नुकसान पहुंचाने वाली" जानकारी इंटरनेट पर फैलाने पर भी मानहानि का मुकदमा किया जा सकता था.

पांच साल की जेल

अब इसके दायरे में "कोई भी कंपनी, संगठन" और "संस्था, प्राधिकरण या कोई भी सरकारी एजेंसी" को भी ला दिया गया है. इसके अलावा अधिकतम जुर्माने को भी तीन साल से बढ़ा कर पांच साल कारावास कर दिया है. संदिग्ध व्यक्ति को जमानत भी नहीं दी जाएगी यानी जब तक उस पर मुकदमा चलता रहेगा वो जेल में ही रहेगा.

सुप्रीम कोर्ट, पाकिस्तान
नए कानून के दायरे में न्यायपालिका भी हैतस्वीर: Waseem Khan/AP Photo//picture alliance

कानून मंत्री फारुग नसीम ने कहा है कि अफवाह उड़ाई जा रही है कि इस कानून का इस्तेमाल मीडिया का मुंह बंद करने के लिए किया जाएगा. उन्होंने कहा, "मीडिया आलोचना करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन झूठी खबरें नहीं फैलानी चाहिए."

इस संदर्भ में नसीम ने खान के तलाक की झूठी खबरों का हवाला दिया. लेकिन विपक्ष के मुताबिक साइबर अपराध कानूनों को बदलने के लिए राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश के रास्ते का इस्तेमाल करना एक "सख्त और ड्रैकोनियन" कदम है.

सीके/एए (एएफपी/डीपीए)

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