1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

उपभोग की अतिः जर्मनी को चाहिए तीन ग्रह

स्टुअर्ट ब्राउन
५ मई २०२३

4 मई को जर्मनी ने अपने भरण-पोषण की क्षमता पूरी खर्च कर दी. इस “अर्थ ओवरशूट” यानी धरती के संसाधनों के अतिशय दोहन की भरपाई गरीब देशों के सीमित संसाधनों और भावी पीढ़ियों के जरिए की जाएगी.

https://p.dw.com/p/4QwyK
जर्मनी में कोयले के खनन का विरोध करते ऐक्टिविस्ट
जर्मनी में कोयले के खनन का विरोध करते ऐक्टिविस्टतस्वीर: INA FASSBENDER/AFP/Getty Images

यूक्रेन पर रूसी हमले की वजह से आर्थिक मंदी के बावजूद, जर्मनी अपने निर्वहन की जीववैज्ञानिक सीमाओं को पार कर चुका है. इस बीच, पिछले साल की तरह इस बार का अर्थ ओवरशूट डे भी, अंदाजा है कि 28 जुलाई के आसपास होगा.

2022 की तारीख अमेरिका स्थित पर्यावरणीय एनजीओ, ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क ने सबसे पहले दर्ज की थी. ये संस्था करीब तीन दशकों से वैश्विक और राष्ट्रीय पारिस्थितिकीय दुष्प्रभावों की गणना करती आ रही है. 1970 में, पृथ्वी की बायोकैपिसिटी यानी जैवसामर्थ्य, संसाधनों की सालाना इंसानी मांग से भी कहीं ज्यादा पूरी करने लायक थी.

जैव सामर्थ्य से आशय ईकोप्रणालियों की उस क्षमता या सामर्थ्य से है जो इंसानी उपभोग के लिए जीववैज्ञानिक सामग्रियों के उत्पादन और इंसानों के पैदा किए कचरे को सोखने में खर्च होती है. लेकिन 1970 के बाद से हम लोग धरती को अपने उपभोग के आकार के लिहाज से पीछे छोड़ चुके हैं.

परमाणु ऊर्जा
जर्मनी में परमाणु ऊर्जा के खिलाफ विरोध प्रदर्शनतस्वीर: Nadja Wohlleben/REUTERS

इस जीवनशैली को बनाए रखने के लिए मनुष्यता को करीब 1.7 ग्रहों की जरूरत है. अकेले जर्मनी को तीन ग्रह चाहिए. गरीब और विकासशील देशों पर ज्यादा मार पड़ेगी. यही हाल आने वाली पीढ़ियों का भी होगा जो जलवायु संकट के रूप में तकलीफें झेलेगी जो इधर अतिशय उपभोग की वजह से और तीखी होने लगी हैं.

उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया या इक्वाडोर, दिसंबर तक अतिक्रमण नहीं करेंगे. और अपने साधनों के दायरे में ही रहने के करीब हैं. लेकिन जर्मनी जैसे अमीर देश उनके संसाधनों का दोहन करने में लगे हैं.

जर्मन विकास नेटवर्क, इनकोटा में रिसोर्स जस्टिस के लिए वरिष्ठ नीति सलाहकार लारा लुइजा जीवर ने 2022 में बताया कि, "दुनिया में कच्चे माल का पांचवा सबसे बड़ा उपभोक्ता जर्मनी है और वो गरीब देशों से 99 फीसदी खनिज और धातुएं आयात कर रहा है."

2023 में, संसाधनों का अत्यधिक दोहन करने में कतर सबसे आगे रहा. 10 फरवरी तक उसने अपने अक्षय संसाधनों का उपभोग कर डाला था.  

अंतहीन वृद्धि का तर्क जर्मनी को छोड़ना होगा

लेकिन अधिकांश विकसित देशों की तरह जर्मनी अभी भी सूची में ऊंचे स्थान पर बना हुआ है- फ्रांस को संसाधनों के उपभोग की हद पार करने में जर्मनी से एक दिन ज्यादा लगा. जबकि यूनान (ग्रीस), यूके और जापान इस महीने अपने संसाधन बजट को पार कर चुके हैं.

इंसानों के लिए एक पृथ्वी कम पड़ रही है

ग्रीनपीस जर्मनी में सर्कुलर इकोनमी और टॉक्सिक्स कैंपेनर वायोला वोह्लगेमुथ ने कहा, "जर्मनी में बड़ी समस्या ये है कि हम अभी तक ये नहीं समझ पाए कि संसाधन सीमित हैं. गरीब देशों में भी आमतौर पर यही समस्या है."

वर्ल्ड रिसोर्सेस इन्स्टीट्यूट के डाटा का हवाला देते हुए वायोला बताती हैं कि जैवविविधता का 90 फीसदी नुकसान "संसाधनों के दोहन और उत्पादों में उनके रूपांतरण" की वजह से होता है. ये उत्पादन वैश्विक स्तर पर 50 फीसदी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का जिम्मेदार भी है.

वायोला कहती हैं कि इस "भीषण संसाधन संकट" के बावजूद जर्मनी जैसे देशों ने "सबक नहीं सीखा है." बर्लिन स्थित जलवायु एक्टिविस्ट ताद्सियो म्युलर कहते हैं कि अतीत में, जर्मनी को "जलवायु खूबी की मिसाल" माना जाता था.

"विडंबना ये है कि ईको चैंपियन के रूप में जर्मनी का ये मिथ उसकी औद्योगिक नीति या उसकी सरकारी स्तर पर राजनीतिक सामरिकताओं की वजह से नहीं बना है. इसकी वजह हैं शक्तिशाली सामाजिक आंदोलन."  

वो 1970 और 80 के दशकों में उभरे परमाणु विरोधी आंदोलनों,का हवाला देते हैं जिनके जरिए एटमी ऊर्जा को हटाने की मांग की जाती रही है, स्थानीय छोटी और मंझौली कंपनियों में जर्मन अक्षय ऊर्जा प्रतिभा या सुघड़ता के उभार का जिक्र करते हैं और हाल मे ही युवा जलवायु प्रदर्शनकारियों की जीवाश्म ईंधन से बाहर निकलने की कामयाब मांगों का उल्लेख भी वो करते हैं.

लेकिन म्युलर कहते हैं, अगर अत्यधिक उपभोग से जुड़ी हुई जलवायु बदलाव और "जैवविविधता क्षति की अतिशय गंभीर समस्या " से निपटना है तो जर्मन आर्थिक नीति को आधार देने वाली निर्बाध वृद्धि के चालक सिद्धांत को बुनियादी रूप से बदलना होगा.

वो कहते हैं कि इसका विस्तार "हरित वृद्धि" के विचार से जुड़ा है या "इलेक्ट्रिक कार पूंजीवाद" से जो कि संसाधन उपभोग के बड़े पैमाने पर विस्तार पर आधारित है- खासतौर पर खनिजों और दुर्लभ धातुओं के लिए.

#मूवदडेट के लिए जरूरी है सर्कुलर इकोनमी

म्युलर ये बताते हैं कि अगर वही ग्रोथ मॉडल भी बनाए रखना पड़े तो भी, संसाधनों के इस्तेमाल में कटौती करने वाली कुशलताएं लागू करने की कोशिश के तहत, जर्मनी की संघीय सरकार एक नयी राष्ट्रीय सर्कुलर इकोनमी रणनीति पर बहस कर रही है.

वायोला वोह्गलेमुथ के मुताबिक अर्थ की ओवरशूट डेट को आगे खिसकाने के लिए एक समग्र चक्रीय अर्थव्यवस्था जरूरी है. वो कहती हैं कि "हमें अपने बिजनेस मॉडलों को बदलना होगा ताकि उत्पाद सच्चे अर्थो में रिसाइकिल हो सके."

इसकी खातिर वो यूरोपियन ग्रीन डील के सर्कुलर इकोनमी कार्ययोजना के केंद्र में मौजूद रिड्यूस, रियूज और रिसाइकिल के सिद्धांत का हवाला भी देती हैं. उन्होंने जर्मनी में संसाधनों के इस्तेमाल की सीमा को सुनिश्चित करने को भी कहा है.

हाइड्रोजन बनाने के लिए जर्मनी का नामीबिया में बड़ा निवेश

ऐसी सीमाओं में ऊर्जा इस्तेमाल को भी शामिल करने की जरूरत है. ग्रीनपीस कैंपेनर का कहना है कि सिर्फ एक चौथाई जर्मन गैस आपूर्ति हीटिंग या खाना पकाने में इस्तेमाल होती है ज्यादातर उच्च कार्बन फॉसिल ईंधन अनसस्टेनेबल उत्पादन को ऊर्जा देते हैं.

जर्मनी को द्रुत गति से उत्सर्जन कटौतियां करनी होंगी

ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन, अति उत्पादन और अति उपभोग का सीधा नतीजा हैं. पर्यावरण संगठन जर्मन वॉच के राजनीतिक निदेशक क्रिस्टॉफ बाल्स के मुताबिक अगर जर्मनी को अपने ओवरशूट में तेजी से कटौती करनी है तो उत्सर्जनों में तेजी से कटौती करना जरूरी है.

उन्होंने कहा, "जर्मनी में सीओटू उत्सर्जन आज की अपेक्षा तीन गुना अधिक तेजी से कम करना होगा."

हाईस्पीड, लो एमीशन वाले रेल परिवहन तक परिष्कृत पहुंच और हवाई सफर में कटौती, इन उत्सर्जनों में कटौती के लिए ग्रीनवॉच के कुछ सुझावों में से हैं.

लेकिन अति उपभोग से पहले निपटे बिना, जर्मनी अपनी जरूरतों के दायरे में रहने में नाकाम रहेगा.

ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क के संस्थापक और अध्यक्ष माथिस वाकरनागेल कहते हैं, "हम अलग अलग तरीकों से तमाम समस्याओं पर गौर करते हैं- जलवायु परिवर्तन या जैव-विविधता ह्रास या भोजन की किल्लत- माने ये सभी चीजें अलग अलग घटित हो रही हों."

"लेकिन ये तमाम चीजें एक ही अंतर्निहित मामले के लक्षण हैं- कि हमारा सामूहिक मेटाबॉलिज्म, इंसानी उपभोग की वस्तुओं की मात्रा और आकार उन संसाधनों की तुलना में बहुत बड़ा हो चुका है जिन्हें धरती नवीनीकृत कर पाती है."