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अफ्रीका के लिए जर्मनी की नई विकास रणनीति कितनी अच्छी है?

२७ जनवरी २०२३

जर्मनी का विकास मंत्रालय अफ्रीका में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है. विकास मंत्री स्वेंजा शुल्जे ने हाल ही में एक नया विचार दिया है, लेकिन इसे लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

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Äthiopien Addis Abeba | Svenja Schulze trifft Monique Nsanzabaganw
तस्वीर: Thomas Koehler/photothek/IMAGO

जर्मनी और अफ्रीका के बीच सहयोग की जिन योजनाओं को स्वेंजा शुल्जे के पूर्ववर्ती मंत्री ने पेश किया था, उसकी तुलना में शुल्जे के प्रस्ताव कमजोर दिख रहे हैं.

पूर्व विकास मंत्री गर्ड मुलर ने साल 2017 में अपनी अवधारणा को 'अफ्रीका के लिए मार्शल प्लान' बताते हुए इसे बड़ी धूमधाम से पेश किया था. हालांकि, कुछ साल बाद ही यह अपने उद्देश्य से काफी भटक गई. योजना की ज्यादातर बातें कभी अवधारणा के स्तर से आगे नहीं बढ़ पाईं और मुलर खुद भी राजनीति से दूर चले गए.

शुल्जे की नई योजना का शीर्षक अपेक्षाकृत कम प्रभावशाली है. इसे महज अफ्रीका रणनीति कहा जा रहा है और इसमें 'अफ्रीका के साथ भविष्य को आकार देने' की घोषित महत्वाकांक्षा है.

शुल्जे साल 2021 से इस पद पर हैं. रणनीति की शुरुआत के मौके पर उन्होंने DW से बातचीत में कहा, "हम नहीं चाहते कि ये देश हमेशा के लिए हम पर निर्भर रहें. हम देख रहे हैं कि अफ्रीका कैसे विकसित हो रहा है, वहां की नवाचार क्षमता कैसी है, कई युवा लोग कैसे हैं. हम नेटवर्क, साझेदारी बनाना चाहते हैं, जिससे दोनों पक्ष लाभान्वित हों, सिर्फ एक पक्ष नहीं."

हीरे-सोना खोदने वाले इतने गरीब क्यों?

रणनीति की कुछ नई प्राथमिकताएं हैं. जलवायु परिवर्तन के युग में स्थिरता एक प्रमुख भूमिका निभाती है. अफ्रीकी देश इसके असर को स्पष्ट रूप से महसूस कर रहे हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं है. जर्मनी चाहता है कि अफ्रीकी देशों की अर्थव्यवस्थाओं का विकास सामाजिक रूप से न्यायसंगत और पर्यावरण के अनुकूल हो.

जर्मनी का विकास मंत्रालय यानी BMZ नवीनीकृत ऊर्जा का विस्तार करने और विशेष रूप से युवाओं के लिए नए रोजगार सृजित करने में अफ्रीकी देशों की मदद की योजना बना रहा है. मंत्रालय के अनुसार अफ्रीका में हर साल ढाई करोड़ नए रोजगार सृजित करने की जरूरत है, क्योंकि इस महाद्वीप में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है. साल 2050 तक यहां की जनसंख्या करीब 2.5 अरब तक हो सकती है.

साल 2030 तक अत्यधिक गरीबी और उपचार योग्य बीमारियों को समाप्त करने संबंधी अभियान को चलाने वाली संस्था ONE के दक्षिण अफ्रीकी कार्यालय में विश्लेषक के तौर पर काम कर रहे ओलावन्मी ओला-बुसारी ने नई प्राथमिकताओं को मंजूरी देते हुए कहा कि वे 'अफ्रीकी देशों के साथ जर्मनी के विकास संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए सही दिशा निर्धारित कर रहे हैं और अफ्रीकी देशों, सरकारों और संस्थानों के लिए प्रमुख प्राथमिकताओं को भी उजागर कर रहे हैं.'

Deutsche Entwicklungszusammenarbeit in Afrika | Äthiopien | Gerd Müller in der Somali Region
तस्वीर: Michael Gottschalk/photothek/IMAGO

सही तरीका!

ओला-बुसारी ने कहा कि यह रणनीति वैश्विक राजनीति में अफ्रीका के बढ़ते महत्व को भी उजागर करती है और 'उन प्राथमिकताओं का समर्थन करती है, जो खुद अफ्रीकियों ने आगे रखी हैं और जैसा कि एजेंडा 2063 में निर्धारित किया गया है.'

नई रणनीति एक प्रमुख मामले में मुलर की कथित 'मार्शल योजना' से भिन्न है, जिसे जर्मन कंपनियों को बड़े पैमाने पर अफ्रीका में निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से डिजाइन किया गया था. कई समर्थन कार्यक्रमों का भी वादा किया गया था, जिनमें से कुछ पेश भी किए गए थे. लेकिन, लीपजिग विश्वविद्यालय में अफ्रीका के पूर्व प्रोफेसर रॉबर्ट कप्पल कहते हैं कि इस अवधारणा में आर्थिक सहयोग की भूमिका प्रमुख नहीं है.

कप्पल ने बताया कि जब तक मौजूदा कार्यक्रम जारी रहेंगे, तब तक अफ्रीका और यूरोप के बीच व्यापार संबंधों को निष्पक्ष बनाने की कोई योजना नहीं है. मसलन यूरोप से सब्सिडी वाले कृषि उत्पादों के संबंध में, जो अफ्रीकी उत्पादकों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा पेश करते हैं. कप्पल ने बताया कि अफ्रीकी सरकारों ने बार-बार इस बात की मांग की है और उन्हें इस संबंध में और अधिक उम्मीद थी.

जर्मन व्यवसायी नाखुश

व्यापारिक प्रतिनिधि उतने प्रसन्न नहीं थे. जर्मन-अफ्रीकन व्यापार संघ के चेयरमैन स्टीफेन लीबिंग कहते हैं, "निजी क्षेत्र की परियोजनाओं और निवेश को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं के बजाय यह दस्तावेज मौजूदा नीतियों की व्याख्या करने और उद्देश्यों को समझाने में ही समाप्त हो जाता है, जबकि नीति-निर्माताओं के मुताबिक पहले से मौजूद खिलाड़ी ही नई योजना के लिए सबसे बड़े प्रतिस्पर्धी होंगे."

व्यावहारिक तौर पर देखें, तो अफ्रीकी महाद्वीप में जर्मन व्यवसाय की भागीदारी नीति निर्माताओं की अपेक्षाओं के मुताबिक बहुत कम है.

BMZ महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान केंद्रित करने की भी योजना बना रहा है. वह एक ऐसी घोषणा करने की योजना बना रहा है, जो अफ्रीका में वैचारिक चर्चा को गति दे सकती है. लैंगिक समानता में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष योगदान देने वाली फंडिंग को साल 2025 तक बढ़ाकर 93 फीसद करना है. मंत्रालय के मुताबिक अफ्रीका में महिलाओं और लड़कियों को अब भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है.

जर्मन रणनीति पत्र में कहा गया है, "उनके पास अच्छी स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के अवसर कम हैं और अनौपचारिक क्षेत्र में वे असमान रूप से कार्यरत हैं. कई अफ्रीकी देशों में लड़कियों को शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है और स्वास्थ्य देखभाल और गर्भ निरोधकों तक उनकी पहुंच सीमित है."

Tschad N'djamena | Demonstration von Frauen
तस्वीर: Cynthia Nguena Oundoum/DW

सांस्कृतिक हस्तक्षेप

अफ्रीकन सिविल सोसायटी के एक बड़े हिस्से में इस योजना का स्वागत हो सकता है, लेकिन ये लोग कुछ देशों के साथ तनाव भी पैदा कर सकते हैं. कप्पल कहते हैं, "निश्चित तौर पर यह चर्चाओं को गति देगा."

कुछ अफ्रीकी नेताओं की लंबे समय से शिकायत रही है कि पश्चिमी देश उनके यहां सांस्कृतिक हस्तक्षेप करते हैं. जैसे पश्चिमी देशों के समान अधिकारों से जुड़े कुछ बयानों को कुछ पुरुष राजनेता ठीक नहीं समझते. स्थानीय LGBTQ समुदायों के नियोजित समर्थन के संदर्भ में भी यह सच हो सकता है. कुछ अफ्रीकी देशों में जारी LGBTQ भेदभाव और अपराधीकरण के संदर्भ में ओला-बुसारी 'मिश्रित प्रतिक्रियाओं' की बात करते हैं.

आखिरकार शुल्जे की योजना के किन हिस्सों को लागू किया जाएगा, यह केवल जर्मन विकास मंत्रालय पर निर्भर नहीं करता है. ओला-बुसारी बताते हैं, "वह मंत्रालय तभी सफल हो पाएगा, जब उसके पास विदेश, आर्थिक और रक्षा मंत्रालयों से खरीदारी भी हो. हम जो मांग कर रहे हैं, वह पूरी जर्मन सरकार की एक सुसंगत अफ्रीका रणनीति है."

हालांकि, यह एक महत्वाकांक्षी सोच हो सकती है. साल 2017 की बात करें, तो कई मंत्रालय एक ही समय में अपनी अफ्रीकी योजनाओं पर काम कर रहे थे. यहां तक कि विशेषज्ञों ने एक अधिक सुसंगत अवधारणा और सरकार के संपूर्ण दृष्टिकोण का आग्रह किया था. लेकिन, कुछ बुनियादी बिंदुओं को रेखांकित करने वाले एक अस्पष्ट दस्तावेज के अलावा कुछ भी नहीं हुआ.

लेखक: डेनियल पेल्ज़