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समाजजर्मनी

जर्मनी में खतरनाक रूप से बढ़ रही है कोकेन और फेंटनिल की लत

ओलिवर पीपर
२६ मार्च २०२४

जर्मनी, क्रैक (कोकेन) और फेंटनिल के दुरुपयोग में खतरनाक वृद्धि का सामना कर रहा है. 2022 में नशीली दवाओं से जुड़ी लगभग 2,000 मौतें दर्ज की गईं. विशेषज्ञ इस संकट से निपटने के लिए व्यापक रणनीतियों की सलाह दे रहे हैं.

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क्रैक बेहद अडिक्टिव है और इसका एंटीडोट भी उपलब्ध नहीं है. सांकेतिक तस्वीर.
जर्मनी में क्रैक की लत इतनी फैलती जा रही है कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या नए स्तर पर पहुंच गई है. तस्वीर: Andre Penner/AP/picture alliance

जर्मनी में क्रैक इतने बड़े पैमाने पर फैल गया है कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या नए स्तर पर पहुंच गई है. कोकेन के ठोस रूप को क्रैक कहा जाता है. जर्मनी में यह तेजी से एक गंभीर समस्या बन रहा है.

यह हल्के रंग की एक सामान्य रॉक कैंडी जैसा दिखता है. यही कारण है कि सेवन करने वाले इसे "वाइट" या "स्टोन्स" कहते हैं. 96 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करने पर यह चटकने लगता है. इसलिए इसे 'क्रैक' कहते हैं. कोकेन, बेकिंग सोडा और पानी का मिश्रण 10 सेकंड से भी कम समय में "किक" देता है, जो किसी भी अन्य ड्रग की तुलना में तेज है.

क्रैक की लत बहुत तेज होती है और इस्तेमाल करने वालों के लिए यह विनाशकारी हो सकता है.

सामाजिक कार्यकर्ता मिषाएल हरबाउम बताते हैं, "क्रैक ऐसा कोकेन है, जिसका धूमपान किया जा सकता है और यह किक देता है. लगातार कई दिनों तक इसका सेवन किया जाए, तो यह ऐसी मानसिक स्थिति पैदा कर सकता है जिसमें असल और काल्पनिक दुनिया में अंतर करना मुश्किल हो जाएगा."

हरबाउम एक प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो दशकों से नशे की लत से जूझ रहे लोगों के साथ काम कर रहे हैं. वह बताते हैं, "क्रैक ने सब कुछ बदल दिया है."

हरबाउम पश्चिमी जर्मनी के डुसेलडॉर्फ ड्रग्स हेल्प सेंटर में काम करते हैं.
हरबाउम एक प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ता हैं और दशकों से नशे की लत के शिकार लोगों के लिए काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि क्रैक की लत काफी खतरनाक रूप से बढ़ रही है. तस्वीर: Privat

हरबाउम पिछले 20 साल से पश्चिमी जर्मनी के डुसेलडॉर्फ ड्रग्स हेल्प सेंटर में काम करते हैं. वहां उनका पहला काम ड्रग कंजम्प्शन रूम चलाना था, जहां प्रशिक्षित कर्मचारियों की देखरेख में प्रतिबंधित ड्रग्स का इस्तेमाल किया जा सकता था. अब हरबाउम केंद्र की देखभाल करते हैं और उन्होंने पाया कि ड्रग कंजम्पशन रूम में क्रैक का सेवन करने वालों की संख्या 2017 में जहां कुछेक सौ थी, वहीं 2023 में ये बढ़कर 31,000 से ज्यादा हो गई है.

हरबाउम बताते हैं, "क्रैक का असर बहुत ताकतवर होता है. यह बहुत तेजी से काम करता है, लेकिन यह बहुत तेजी से खत्म भी हो जाता है. इसलिए लोग बहुत जल्दी-जल्दी दोबारा सेवन करते हैं," हरबाउम आगे कहते हैं, "यह एक बहुत ही खतरनाक स्थिति है. सोचिए कि हर आधे घंटे में इसका सेवन किया जाता है. ऐसे में ठीक होने का वक्त मिलता ही नहीं, ना खाने का वक्त और ना सफाई का समय."

नशीली दवाओं से जुड़ी मौतें लगातार बढ़ रही हैं

साल 2022 में जर्मनी में नशीली दवाओं से जुड़ी मौतों की संख्या लगभग 2,000 थी. यह दो दशकों में सबसे अधिक संख्या है. मौतों का मुख्य कारण हेरोइन या अन्य नशीली दवाओं का लंबे समय तक दुरुपयोग था. कोकेन और क्रैक के ओवरडोज से होने वाली मौतें 400 से अधिक हो गईं.

नशे की लत पर शोध कर रहे डानिएल डाइमेल, क्रैक की खपत से निपटने के लिए कार्रवाई के नए तरीके विकसित करने पर काम कर रहे हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "फ्रैंकफर्ट, हैम्बर्ग और हनोवर जैसे बड़े शहरों में क्रैक लगभग 20 साल से समस्या बना हुआ है. लेकिन 2016 से यह पश्चिमी जर्मनी के प्रमुख शहरों में और जारलांड जैसे जर्मन राज्यों में भी फैल रहा है. ऐसा इसलिए कि यूरोप में उच्च शुद्धता वाले कोकेन की मात्रा बढ़ रही है."

डाइमेल आगे बताते हैं, "नशीली दवाओं का बाजार बढ़ रहा है क्योंकि कोलंबिया में कोकेन का उत्पादन काफी बढ़ गया है. बाजार और उत्पादकों में विविधता आ गई है." कोकेन तेजी से बेल्जियम के एंटवर्प, नीदरलैंड के रॉटरडैम और जर्मनी के हैम्बर्ग पोर्ट जैसे बंदरगाहों के माध्यम से यूरोप में प्रवेश कर रहा है.

डाइमेल का मानना है कि मांग बनी रहेगी. वह रेखांकित करते हैं, "कोकेन का सेवन अब कई मध्यम वर्ग के लोगों द्वारा किया जाता है. इसका सेवन कुछ हद तक सामान्य हो गया है. इसने 1980 और 1990 के दशक की अमीरों, कलाकारों और मीडिया पेशेवरों की ड्रग के तौर पर अपनी घिसी-पिटी छवि को त्याग दिया है."

डाइमेल ने पिछले साल कोलोन शहर में नशीली दवाओं के सेवन से जुड़ी स्थितियों का अध्ययन किया और पाया कि लगभग सभी कोकेन उपयोगकर्ताओं ने कभी-न-कभी धूमपान किया था. उनमें से कई बेघर थे. डाइमेल बताते हैं कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि क्रैक का कोई इलाज नहीं है.

डाइमेल कहते हैं, "हेरोइन के लिए पहले से ही विकसित व्यसन चिकित्सा हस्तक्षेप मौजूद हैं, जैसे कि मेथाडोन, जिसका उपयोग सब्स्टिटूशन-असिस्टेड ट्रीटमेंट के रूप में किया जाता है. लेकिन अभी तक कोई भी दवा क्रैक की लत के खिलाफ प्रभावी साबित नहीं हुई है. हमें वास्तव में इस पर और अधिक शोध की आवश्यकता है. हमें चौबीसों घंटे एक आपातकालीन सहायता केंद्र की भी आवश्यकता है."

नशे के बजाए इलाज में ड्रग्स का इस्तेमाल

क्रैक का कोई एंटीडोट नहीं है

डुसेलडॉर्फ में हरबाउम की टीम ने हाल ही में शहर के केंद्रीय रेलवे स्टेशन पर लत से जूझ रहे 11 लोगों के लिए एक नई आवास सुविधा शुरू की है. इसमें सामाजिक कार्यकर्ताओं और सुरक्षा कर्मचारियों के साथ-साथ ऐसे कमरे भी हैं, जिनमें ताला लगाया जा सकता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की और अधिक सुविधाओं की आज के समय में आवश्यकता है. ऐसा इसलिए कि क्रैक के अलावा फेंटनिल जैसे सिंथेटिक ओपियोइड के रूप में बेहद खतरनाक दवाओं की अगली लहर आ रही है.

फेंटनिल उन लोगों के लिए एक दर्द निवारक दवा है जो मर रहे हैं, या कैंसर से पीड़ित हैं. लेकिन इसे हेरोइन के साथ मिलाया जा रहा है. जर्मन एड्स एसोसिएशन ने जर्मनी के 17 ड्रग कंजम्प्शन रूम में छह महीने तक एक प्रोजेक्ट चलाया. इस दौरान हेरोइन के 3.6 फीसदी नमूनों में फेंटनिल के अंश पाए गए.

डाइमेल कहते हैं, "सिंथेटिक ओपियोइड बाजार में आ रहे हैं और हेरोइन के साथ मिलाए जा रहे हैं. समस्या यह है कि ये चीजें काफी अधिक ताकतवर और ज्यादा घातक है. फेंटनिल के साथ दो मिलीग्राम पर्याप्त है, यह एक पेंसिल की नोक के आकार के बराबर है."

व्यसन और नशीली दवाओं के मुद्दों के आयुक्त बर्कहार्ड ब्लिएनेर्ट ने डीडब्ल्यू को बताया, "ड्रग कंजम्प्शन रूम के अलावा ड्रग-चेकिंग और तेजी से परीक्षण जैसी व्यवस्थाएं भी हो सकती हैं और आम लोगों को नालॉक्सोन के बारे में पता होना चाहिए."

नालॉक्सोन एक दवा है, जिसका उपयोग ओपिओइड के प्रभाव को उलटने या कम करने के लिए किया जाता है. इसे इंजेक्ट किया जाता है और ये ओपिओइड ओवरडोज के बाद सांस दुरुस्त करने में मदद करता है.

ब्लिएनेर्ट बताते हैं कि यूरोप में कई प्रभावी उपायों को आजमाया और परखा गया है, लेकिन ऐसे उपाय वहां उपलब्ध नहीं हैं, जहां उनकी जरूरत है. वह कहते हैं, "क्रैक और सिंथेटिक ओपिएट्स के खतरनाक असर को देखते हुए हम इस पर बहस नहीं करते रह सकते हैं कि ड्रग कंजम्प्शन रूम और ड्रग जांच की पेशकश की जानी चाहिए या नहीं."