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बांग्लादेश का पहला परमाणु बिजली घर बना रहा है रूस

६ जनवरी २०२३

बांग्लादेश का पहला परमाणु बिजली घर तैयार होने वाला है. इसके लिए रूस ने कर्ज दिया है, तकनीक दी है और लोग भी दिए हैं.

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बांग्लादेश में ऊर्जा बड़ी जरूरत है
बांग्लादेश में ऊर्जा बड़ी जरूरत हैतस्वीर: Rashed Murtoza/DW

बांग्लादेश में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे 22 साल के नोयोन अली आइसक्रीम और जूस का ठेला लगाते हैं. उनका मेन्यु रशियन में है जो उन्होंने एक ऐप के जरिए बांग्ला से अनुवाद करके बनाया है. रशियन में इसलिए क्योंकि उनके अधिकतर ग्राहक रूसी हैं.

पद्मा नदी के किनारे पर रूपपुर में ये रूसी बांग्लादेश का पहला परमाणु संयंत्र बना रहे हैं. इसलिए रूपपुर को अब लोग रूसपुर कहने लगे हैं. रूसियों के आने के बाद ही नोयोन अली यहां काम करने आए हैं. वह बताते हैं, "रूसियों के आने के बाद यहां कई रेस्तरां, ब्यूटी पार्लर और दूसरी दुकानें खुल गई हैं. देश के दूसरे हिस्सों से भी काम करने लोग यहां आ गए हैं.”

फायदे और खतरे

रूपपुर न्यूक्लियर प्लांट 2,400 मेगावॉट बिजली क्षमता के साथ बनाया जा रहा है. इसके बनने पर बांग्लादेश उन 30 देशों में शामिल हो जाएगा, जहां परमाणु बिजली उपलब्ध है. बांग्लादेश के लिए यह संयंत्र जरूरी हो गया है क्योंकि पिछली गर्मियों में उसने भयंकर कमी झेली.दुनियाभर में ईंधन की कीमतें आसमान पर पहुंच गईं और बिजली उत्पादन मुश्किल व महंगा हो गया. बहुत से विशेषज्ञ मानते हैं कि परमाणु बिजली ही इससे समस्या का समाधान है.

ढाका की बांग्लादेश यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (BUET) में प्रोफेसर एजाज हुसैन कहते हैं कि न्यूक्लियर प्लांट ना सिर्फ देश की बिजली समस्या का समाधान कर सकता है बल्कि कम कार्बन उत्सर्जन वाली ऊर्जा क्षमता बढ़ाने में भी मदद कर सकता है. हालांकि इसमें अभी समय लगने वाला है क्योंकि निर्माण में देरी हो रही है. इसके साथ लागत भी बढ़ रही है. और लोगों को न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े खतरों का भी आभास है.

रूस ने की मदद

बांग्लादेश में परमाणु बिजली घर बनाने की योजना पर काम 1960 के दशक में शुरू हुआ था. लेकिन सरकारें तेजी से बदलती रहीं और यह योजना ठंडे बस्ते में पड़ी रही. इसकी वजह धन की कमी और कुशल इंजीनियरों का ना होना भी रहा. 2011 में बांग्लादेश और रूस के बीच एक समझौता हुआ जिसके तहत रूपपुर परमाणु बिजली घर बनाने पर सहमति बनी. 2017 में आखिरकार ढाका से 140 किलोमीटर दूर दो परमाणु बिजली घर बनाने का काम शुरू हुआ. इनमें से हरेक की क्षमता 1,200 मेगावॉट होनी है.

न्यूक्लियर फ्यूजन है असीम ऊर्जा की चाबी

इस प्लांट को रूस की सरकारी परमाणु बिजली कंपनी रोसएटम बना रही है. इसके लिए रूस ने बांग्लादेश को 11.38 अरब डॉलर का कर्ज दिया है जिसे 2027 से लेकर 20 साल के भीतर चुकाना होगा. बिजली घर की तकनीक भी रूस ने ही दी है.

इनसे 40 हजार साल तक खतरा होता है

वैसे बांग्लादेश की बिजली उत्पादन क्षमता उसकी मांग से ज्यादा है लेकिन ईंधन की कीमतें बढ़ने के कारण उस बिजली को पैदा करने का खर्च बहुत ज्यादा हो गया है. वह ईंधन अधिकतर आयात किया जाता है. इसमें करीब एक चौथाई प्राकृतिक गैस है जो विदेशों से आती है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद प्राकृतिक गैस की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर है.

परमाणु बिजली की जरूरत

हुसैन कहते हैं कि परमाणु बिजली ना सिर्फ देश को ऊर्जा सुरक्षा दे सकती है बल्कि पेरिस समझौते की उसकी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में भी मदद कर सकती है. आने वाले सालों में बांग्लादेश प्राकृतिक गैस पर अपनी निर्भरता घटाना चाहता है. हालांकि इसका एक विरोधाभास यह भी है कि देश में कोयले से पैदा होने वाली बिजली का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है.

पिछले साल बिजली मंत्रालय ने ऐलान किया था कि 2041 तक देश की 40 फीसदी बिजली का उत्पादन अक्षय ऊर्जा स्रोतों से होगा जिनमें सोलर, पवन और जल ऊर्जा संसाधन शामिल हैं. अब तक देश के कुल उत्पादन यानी 25,700 मेगावॉट में से सिर्फ 950 मेगावॉट बिजली अक्षय स्रोतों से मिलती है.

जापोरिझिया परमाणु संयंत्र में हादसा क्या चेर्नोबिल जैसा होगा?

लेकिन परमाणु बिजली को अक्षय ऊर्जा कहने पर दुनियाभर में विवाद है क्योंकि बिजली पैदा होने के बाद परमाणु संयंत्रों से निकलने वाला कचरा ना तो रीसाइकल किया जा सकता है और वह बेहद खतरनाक भी है. 2021 में परमाणु बिजली का हिस्सा दुनिया के कुल बिजली उत्पादन में बस दस प्रतिशत रह गया था. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद दुनिया के कई देशों ने परमाणु बिजली की तरफ दोबारा रुख किया है. मसलन, फ्रांस ने अपनी परमाणु बिजली क्षमता बढ़ाई है. जर्मनी ने परमाणु बिजली घर बंद करने की योजना को आगे बढ़ा दिया है.

वीके/एए (रॉयटर्स)