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मानवाधिकारअफगानिस्तान

अब भी अमेरिका पहुंचने का इंतजार करते अफगान

२२ जून २०२३

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद देश से भागने वाले कई लोग अभी भी गंभीर मानसिक तनाव और समस्याओं का सामना कर रहे हैं. विदेशी धरती पर भी उनका संघर्ष खत्म नहीं हुआ है.

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सैकड़ों अफगान अल्बानिया में शरण लिए हुए हैं
सैकड़ों अफगान अल्बानिया में शरण लिए हुए हैंतस्वीर: Press Office Albania Ministry of Foreign Affairs

करीब दो साल पहले फिरोज माशूफ अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से बचने के लिए देश छोड़ कर भाग गए थे, लेकिन इतने समय बाद भी उनका काबुल में बिताया आखिरी दिन उन्हें परेशान करता रहता है.

उन्हें आज भी याद है कि कैसे उन्होंने एयरपोर्ट तक के लिए बस ली, लोगों से ठसाठस भरे विमान में जगह पाई और शहर का गोलियों की आवाज से दहल जाना.

फिरोज कहते हैं, "जब कतर एयरवेज की फ्लाइट ने उड़ान भरी, तो मैंने काबुल के चारों ओर की पहाड़ियों और उदास सूर्यास्त को देखा."

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अफगानिस्तान से निकले लेकिन अमेरिका नहीं पहुंच पाए

35 साल के फोटो पत्रकार और अफगान फुटबॉल महासंघ के पूर्व कर्मचारी फिरोज आज अपनी मातृभूमि से हजारों किलोमीटर दूर अल्बानिया में हैं. वे हर गुजरते दिन के साथ अमेरिकी वीजा का उत्सुकता से इंतजार करते हैं, वह वीजा जिसका वादा अमेरिका ने किया था. हर बीतते दिन के साथ उनकी उम्मीदें धूमिल होती जा रही हैं और अमेरिका में नई शुरुआत के उनके सपने टूटते जा रहे हैं.

सैकड़ों अफगान ऐसे हैं जो संकटपूर्ण स्थिति में हैं और कुछ अल्बानिया में काम की तलाश में हैं. उन्हें उम्मीद है कि एक दिन वह अमेरिका पहुंच पाएंगे और लंबी कागजी कार्रवाई के बावजूद एक नया जीवन शुरू कर पाएंगे. हर दिन ऐसे लोग स्वदेश में अपने परिवार को लेकर चिंतित रहते हैं.

अफगान से भागकर कई अफगान अल्बानिया में शरण लिए हुए हैं
अफगान से भागकर कई अफगान अल्बानिया में शरण लिए हुए हैंतस्वीर: Press Office Albania Ministry of Foreign Affairs

परिवार से हजारों किलोमीटर दूर

अल्बानिया की राजधानी तिराना से 70 किलोमीटर दूर एक शहर शेंगजिन में अस्थायी कैंपों में रहने वाले सैकड़ों अफगान हैं, जिनमें फिरोज भी शामिल हैं, फिरोज ने वहां से करीब एक घंटे की दूरी पर स्थित एक मॉल में नौकरी पाई है.

फिरोज यह भी सोचकर डरे हुए हैं कि शायद उन्हें भुला दिया जा सकता है. क्योंकि उनका परिवार अभी हेरात में रह रहा है. फिरोज को उम्मीद थी कि वह जल्द अमेरिका पहुंच सकेंगे और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकेंगे.

फिरोज कहते हैं, "मैं बच गया था. मुझे अमेरिका में एक नया जीवन शुरू करना है. लेकिन कब?"

अगस्त 2021 में तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था. दो दशक तक अमेरिका समर्थित अफगान सरकार अफगानिस्तान में रही, लेकिन विदेशी सैनिकों की वापसी के साथ ही इस सरकार का पतन हो गया.

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अमेरिकी वादे कब पूरे होंगे

तालिबान ने तो पहले कई उदारवादी वादे किए लेकिन समय के गुजरने के साथ देश में सबसे सख्त शरिया कानून लागू किया और अफगानिस्तान में लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया गया है.

अफरातफरी के माहौल में अमेरिकी सेना की वापसी के दौरान अमेरिका ने फैसला किया था कि जिन लोगों ने अमेरिकी सरकार, अमेरिकी सेना या अमेरिकी मीडिया के लिए काम किया, उन सब लोगों को वापस ले जाया जाएगा. लेकिन ऐसे अफगान हैं जो यह कहते हैं कि उन्हें उत्पीड़न का खतरा है उनके लिए वीजा की प्रक्रिया लंबी हो गई है.

एड्रियाटिक सागर से लगे पर्यटक रिसॉर्ट्स में 3,200 से अधिक अफगान ठहरे हुए हैं. नाटो सदस्य अल्बानिया अफगानिस्तान से भागे लोगों के लिए अमेरिका पहुंचने से पहले एक साल तक शरण देने के लिए सहमत हुआ था. जब उनके वीजा में देरी होने लगी तो उन्हें अधिक समय तक रखने का उसने वादा किया.

अमेरिका में पहले से ही करीब 76 हजार अफगान रह रहे हैं, जहां उनके स्थायी रूप से आप्रवासन की समस्या अब तक हल नहीं हो पाई है.

एए/वीके (एपी)

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